A fresh journey
Life is here. Now..
Jan 26, 2008
इक्षा और प्रसन्नता
मेरी
प्रसन्नता
मेरे
स्वीकार
करने
के
समानुपाती
और
मेरी
इक्षाओं
के
विपरीत
अनुपात
मैं
हैं
।
जितनी
मेरी
इक्षाएं
,
उतना
मेरा
दुख
।
जितना
मैं
करूं
स्वीकार
,
उतना
मेरा
सुख
।
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